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कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 9
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11:26, 22 जून 2016
किले पर रंग बिरंगी सुन्दर,
ध्वजा पताका फहराती |
महलों के छज्जे छज्जे पर,
ताख झरोखे में बोले,
तोते और कबूतर कोयल,
मधुर मधुर हौले हौले |
थी नगर गली सड़कें सुन्दर,
सब जन के मन चित चाव रहा,
गुलाब जल सब जगह सुगंधित,
चन्दन का छिड़काव रहा |
<poem>
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