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झरे मेरे नैन पुनि।
सुकुमार राय की कविता : पेंचा आर पेंचानी [ (প্যাঁচা আর প্যাঁচানী] ) का अनुवाद
'''शिव किशोर तिवारी द्वारा मूल बांग्ला से अनूदित'''
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