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धान कूटै धनियाँ / अमरेन्द्र
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16:02, 19 जुलाई 2016
आरो दू-चार के मछली लेॅ गस्त छै
आपनोॅ औसारा पर आपनै में बात करै
बात करी हाँसै छै
साहूµसहुनियाँ
साहू-सहुनियाँ
।
</poem>
Rahul Shivay
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