गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी
1 byte removed
,
10:44, 29 अप्रैल 2008
हिज्जे
दिल वो है कि फ़रियाद से लबरेज़ है हर वक़्त<br>
हम वो हैं कि कुछ
मूँह
मुँह
से निकलने नहीं देते<br><br>
गर्मी-ए-मोहब्बत में वो है आह से माने
'
<br>
पंखा नफ़स-ए-सर्द का झलने नहीं देते<br><br>
Anonymous user
Sumitkumar kataria