{{KKCatGhazal}}
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आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब
हालाँकि उस ने बारहा अपने हिलाए लब
इज़हारे ग़म को यूँ तो बहुत तिलमिलाए लब
अश्कों का एक दरिया मिला रेगज़ार सहरा मेंआँसुओं के समन्दर को देखकर
संजीदगी की धुन पे बहुत गुनगुनाए लब
लाली लगा के होंठ पे चमकी लगाई जबजो
तारों भरे गगन की तरह झिलमिलाए लब