गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
बिजलियों सी चमक है तेरी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
1 byte removed
,
21:49, 6 अगस्त 2016
बिजलियों सी चमक है तेरी
और गुलों सी
ज़ाफ़रानी
महक है तेरी
मेरे ख़्वाबों ख़यालों में बस
चूड़ियों की खनक है तेरी
ख़ामशी
ख़ामुशी
, बाग़ में अब कहाँ
क़ुमरियों सी चहक है तेरी
मोतियों में दमक है तेरी
शाख़े - गुल का हो जिस पर गुमां
वो कमर की लचक है तेरी
SATISH SHUKLA
384
edits