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17:04, 18 अगस्त 2016 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
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<poem>
चितै दृग मीन मलीन कियो,
::मद हीन भये गज चाल मराल।
दबी द्युति दन्तन दामिनी ठोढ़ी,
::लखे पियरे भये डाल रसाल॥
भुजा छबि त्यों घनप्रेम लखो,
::दियो बास उदास कै ताल मृणाल।
लगाय मसी मुख डोलत मंद सो,
::चन्द बिलोकत भाल बिसाल॥
</poem>
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