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पल्लो लटके / राजस्थानी
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|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{
KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=राजस्थानी
KKCatRajasthaniRachna
}}
<poem>
अँखियों में छोटे-छोटे सपने सजाइके
बहियों में निंदिया के पंख लगाइके
ज़रा सा ऊँ ज़रा सा आ
ज़रा सा सीधो हो जा ज़ालिमा म्हारो जियो भटके ...
</poem>
Lalit Kumar
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