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नया कवि : आत्म-स्वीकार / अज्ञेय
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,
12:27, 17 मई 2007
मैंने उसे थोड़ा-सा संवार दिया,<br>
किसी की संवेदना में आग का-सा ताप था<br>
मैंने
दुर
दूर
हटते-हटते उसे धिक्कार दिया ।<br><br>
कोई हुनरमन्द था:<br>
Anonymous user
Bhawnak2002