Changes

{{KKCatAngikaRachna}}
<poem>
रामधारी केॅ जानियै पड़रिया आवास1 शंभुगंज बाँका जिलागंगा सुखलोॅ जाय छै, डिग्री एम. एड. पास ।खोजोॅ मिली उपायडिग्री एम. एड. पास फटाफट अंगिका बोलैनै तेॅ बालू मेॅ सुनोॅ, जैथांै गंग विलायधरम-करम के राज नुकैलोॅ जेकरा खोलैजैथौं गंग विलाय, रसातल मॅे सब जैभेॅ‘प्रोग्रामर’ के हाथ-गोड़ में लागलै बाघीलागै खेत हरंठ, कहाॅे कोन्चीं सब खैभेसोचै छै हिनकोॅ विचार केॅ जागीचैके रोज ‘सुधीर’, लेटैलोॅ धोती-जागी ।अंगाकरोॅ सफाई खूब, बनाबो निर्मल गंगा।
भाव2बूढाॅे हमरो बाप छै, बूढ़ी हमरी मायबिन दाॅतोॅ के भात कॅे, मत्थी-मत्थी खायमत्थी-प्रसूनमत्थी खाय, गगन घटा छपैपेट तेॅ गुड़-बटै सन पाँचगुड़ बोलैआतम में परमातम कथा मधुरिका साँचबच्चा बुतरू बात-बात मॅे लोलै-दोलैकथा मधुरिका साँच । साँच केॅ आँच नै आवैबोर्सी भरै ‘सुधीर’, अमारी सुख्खल ढूढ़ोॅहायकु सें हर अंग प्रेमी के छटा सजावैकहै गॅवार कि कवि ‘प्रोग्रामर’ भारीबैठी तापोॅ आग, बथानी बच्चा-भरकमहिन्दी के साथें लहरैतै अंगिका परचम ।बूढ़ाॅे।
सद्गुरू श्री सत्पाल जी3बिजली पानी चाहियो, सबके छै दरकारखुद्धन बिजली पोल पर, की करतै सरकारकी करतै सरकार, तार संे तार निकालैछोटका लोग मिली के, भक्त श्रद्धा इ बड़का के फूलपालैमानवता रगधक-रग भरलधक प्राण ‘सुधीर’ देहरी पर छै कजलीजनता बनै गुलाम, सेवा ही बस मूल घरो के रानी बिजली। 4गाभिन गाय बजार मॅे, लावारिस मड़रायमालिक गारी दुध सब, साँझै भोरे खायसाँझै भोरे खाय, मगर पानी नै सानीसेवा ही बस मूल बड़ा दिलदार हृदय गाय निंभाबै माय केरिस्ता कानी-कानीकह ‘सुधीर’ समझाय, गोसाही गाय बाघिनमालिक नै बुझथौन, नै होतै सुद्धि गाभिन।  5अगुआ के चलती अभी, लगन बड़ी पुरजोरबरतुहार छोटाॅे-बड़ाॅे, लागोॅ सबके गोड़लागोॅ सबके गोड़, मगर अड़चन पॅे अड़चनमाँगै मेॅ की लाज, समझतै समधी समधनमन अकबक करै ‘सुधीर’ जेठ में खेलै फगुआधोती लाले-लाल, पान चभलाबै अगुआ। 6चिड़ियाँ चुनमुन खेत सॅे गेलै कहा बिलायफींका धेनू गाय के माखन दूध मलायमाखन दूध मलाय मिलावट सोची-सोचीअनजाने सब लोग, खाय छे कोची कोचीसँम्भरी के रहभै ‘सुधीर’ ते खूब बढ़ियाँनै छोॅते वहिने हाल, जना खेतोॅ के चिड़ियाँ।7चलतें-पाँच चलतें चाँदनी, काटै-साटै धोॅरछै तारा के बीच में, तैयो लागै डोॅर मुदय केसत्य बात तैयो लागै डोॅर, बदरबा नुकबा-चोरीदेखी हँसै चकोर, हसाबै खूब चकोरीदै ‘सुधीर‘ समझाय, चाँद केॅ सात तरह सें बोलै बाजैदेखलौं गलतेंगुरू हुयै अमावस और, पुरनिमां के कृपा सें जहाँ भी जाय विराजै ।चलतें।
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,574
edits