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चींटी / मोहन राणा

48 bytes removed, 16:39, 10 मई 2008
सच के सवाल पर<br>
और वे पूछते रहे फिर भी<br>
क्योंकि उन्हें शक था मेरे सच परशक था<br>वह अजनबी था उनके संसार में<br><br>
और कुछ मैंने छुपा लिए पलकों में<br>
बुरे मौसम की आशंका में,<br>
किसी दरार को सींते हुए.<br><br>
एक बाढ़ आएगी कहीं से मुझे खोजते हुए27.4.03
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