Changes

मयारू ल संदेश / मुरली चंद्राकर

993 bytes added, 17:13, 24 अक्टूबर 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुरली चंद्राकर |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुरली चंद्राकर
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
ऐठी मुरी पागा मखमली कुरता
हिचकी म समागे मयारू सुरता
दहरा के मछरी के भाठा म मोल
चट्काही मिठलबरा होगे अनमोल

चाउर चिला बंगाला चटनी
दही बोरे बरा बैरी बर मुह देखनी
पापर बिजौरी हे पाकी पकवान
घिवहा सोहारी हे तेलहा अथान

टिहकी चिरैया के लेवथे परान
पलका बिछौना राखे हे बीरो पान
पानी पिरितिया के लेखा न लिखान
चोरो-बोरो मया होगे चटनी चटान
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits