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बेरा कुबेरा नगरिहा अउ
गड़हा गाड़ी जोतंय!
मसमोटी* म हांक त बैला
गजब ददरिया सोंटय!
पारय टेही संगवारी ह
दौंरी बेलन दूरिहागंय
आ गय ट्रेक्टंर टेर टेरहा!
मुठिया* डाँड़ी धुरखिल्ली*सुमेला* सूपा कलारी* !बावन बख्खेर कुड़ी* कोपर*दतरी* नागर जुवाँरी!नहना* जोता* बरही* का परचाली* नाव भुलावत हे!
घी राहर दार के संग सुघ्घार
हे रसायन खातू
साग पान ल घलव चढ़ाथे
सूजी दवाई नाथू !
मनखे बैरी बन गंय अपने
मौत ल अपन बिसावत हें!
गाँव जगावंय बड़कू बैगा
बरिख दिन म आके !
ठाकुर दइया महमाई म
बस्ती संग जूरियाके !
पंडऱा बोकरा कर्रा कुकरा
उल्टा पाँख के कुकरी!
सबके सेती चाऊँर चबावय
बड़कू बैगा पोगरी* !
पितर-गोतर देव-धामी अब
वइसन कहाँ मनावत हें।
नकली पाँव पसारंय!
भीतर बगरत हे अंधियारी
ऊपर दियना बारंय !राचर* फइका ओठगाके* तबजहां चहंय चल देवंय !
सुन्ना घर कुरिया के सरबस
सोर परोसी लेवंय !
आपुस के बिस्वास जनव अब
पंछी बन उडिय़ावत हें !
घर घुसरके मारंय पीटंय
जबरन लूटंय खजाना !
बेरा कुबेरा रस्ता बाट के
कहिबे काय ठिकाना !
निचट पराये के हितवा बन
जाके तलुवा चाटंय !
भाई भाई ले दुरमत कर
अपने बांह ल काटंय !
जांघ ठोंक के बैरी जइसन
अपने ल हुरियावत* हें !
</poem>
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