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पीड़ रो सुख / राजू सारसर ‘राज’

643 bytes added, 21:40, 27 अक्टूबर 2016
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मुंडै छळकती ममताहाँचल झबळकतौ हेतआंख्यां रो उमावभरै साख,सुरगळै सुख रीवै मूंधा खिणअंवेरण नैंपड़ जावैजिनगाणीं कमफगत अैक ‘जछणै ‘क रैकालखण्ड ज्यूं।जापायत रीजलम-पीड़लख ‘रमधरी-मधरीमुळकती बांझड़स्यात् नीं जाणैजापै री पीड़ रैपच्छै रो सुख।
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