Changes

तमाशा / डी. एम. मिश्र

880 bytes added, 17:32, 1 जनवरी 2017
{{KKCatKavita}}
<poem>
यहाँ जितना मज़ा
तमाशा करने वालों को
आता है
उतना ही देखने वालों को भी
नतीज़ा:
गीदड़ राजा हो जाता है
और भेडिये
बस्तियों में आजाद घूमते हैं
बातें करना
लोगों का शगल है
वरना पड़ोस में हादसा होते देखकर
अपने दरवाजे और खिड़कियाँ नहीं बन्द करते
फिर वारदात हो जाने के बाद
हुआँने का मतलब क्या
नारे लगाओं
जुलूस निकालो
कैंडिल मार्च करो
या मशालें जलाओ
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits