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अँधेरा जब मुक़द्दर बन के घर में बैठ जाता है / डी. एम. मिश्र
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07:17, 2 जनवरी 2017
खिलौने का मुक़द्दर है यही तो क्या करे कोई
नहीं खेलें तो सड़ जाये, जो खेलें टूट जाता है।
ख़ुदा ने जो बनाया है ज़रूरी ही बनाया है
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