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<poem>
चाट-चाट कर
खुद को गोरा
करने वाली कला न सीखे
मेरा काला
खून नहीं है
होता अपना भला न दीखे

उनको पढ़ना
संगत उनकी
ये रही मजबूरी मेरी
उनके बीच अकेल

दुनिया के वे
आठ अजूबे
नहीं आपशन
छोड़ें कोई हाँकें पेलमपेल

झूंठी-तूती
और बिरादर
लादे रहना बोझ-सरीखे।
होता अपना भला न दीखे

में-में बोल
मेमने-जैस
अपने को प्रस्तुत कर
लेना आया नहीं मुझे

गाल बजाकर
काल भगाने
वाली भाषा का सम्मोहन
भाया नहीं मुझे

चाँय बोलती
डफुली फोड़ी
बेसुर रहते सुर उसी के
होता अपना भला न दीखे

</poem>