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मनसे तोर प्रशंसा करिहंय – हवय गरीबा निर्भय जीवदुखिया खतरनाक टोनही हे, तउनो तक ला अपन बनैस।”दुखिया ला चढ़गीस रोष तंह, कहिथय सबके मुंह ला थेम –“भले गरीबा छरक भगय पर, ओकर मोर चलत हे प्रेम।धनवा अउ ग्रामीण जमों मिल, पंइठू बर खिरखिन्द मचातउंकर बात ला मानत हंव मंय – घुसत गरीबा के घर आज।”कथय गरीबा -”कइसे बोलत – तोर मोर कुछ नइ संबंधअपन साथ तोला नइ राखंव, जा घर अपन बात कर बंद।”दुखिया किहिस -”कहत हस ठौंका, अब तक रिहिस अलग अस राहपर जब सब झन जोश चढ़ावत, एक सात करबो निर्वाह।”दुखिया गोड़ पटक के रेंगिस, ओकर पिछू गरीबा गीसकरय गरीबा हा का रउती – दुखियाबती ला अपना लीस।पिनकू अपन मकान मं अमरिस, तंह कोदिया हा रखिस सवाल –“नम्मी परब आज मानत हन, एकर तोला हे कुछ ज्ञान!कब के चीला बने रखे हंव, देखत हवंव राह मंय तोरलेकिन तंय छयलानी मारत, एती करा होत सब चीज।”कोदिया हा चीला परसिस तंह, पिनकू देखत पलट उसेलचीला दिखत हवय घिनमिन अस – थोरिक अस डराय गुड़ तेल।कोदिया हा पिनकू के दाई, तब कोदिया हा जेवन दीसतेला पिनकू हा नइ भावत, यने स्नेह के हे अपमान।पिनकू हिनथय -”दाई, तंय सुन – पेट मं चीला कइसे जायदेखत साठ भिरंगगे मन हा, नइ जानस का जिनिस पकाय?”कोदिया सुनिस अन्न के फदिहत, तंहने भड़क कथय फुंफकार –“रज गज खा के पले बढ़े हस, लेकिन आज करत इंकार।पहिली के धन कहां हमर तिर, बस दू हरिया पुरती खारतोर ददा ला रोग धरिस तंह, जमों बोहा गिस धारोधार।ओकर प्रान हा होगिस चंदन, अब तंय देख बिपत के खेलघर के जमों जिनिस हा भटगे – पैजन पहुंचा फुली हमेल।तंय रांड़ी अनाथिन के लइका, लेकिन करत धनी संग रारअवघट घट मं यदि मिल जाबे, ओमन दिहीं मार फटकार।तोला नांदगांव भेजे हंव, विद्या पाय मोर प्रिय पुत्रपर तंय हा चुनाव तक लड़थस, भूल जथस करतब के सूत्र।”पिनकू हा क्रोधित हो जाथय, कोदिया के सुन भाखा टांठचीला ला धरलिस फटके बर, छोड़ दीस कुछ खाय विचार।पर कोदिया हा फिर समझाथय -”महिनत करथंय श्रमिक किसानबहुत कठिन मं अन्न हा उपजत, तब झन करव अन्न हिनमान।”पिनकू हा चीला ला झड़किस, पाठ करत हे अपन किताबपढ़ते पढ़त नींद चपकिस तंह, कतको किसम के देखत ख्वाब।बड़े फजर पिनकू हा उठथय, लेवत हवय खींच के सांसदेखे हवय रात भर सपना, फोरत हे कोदिया के पास –“दाई, तोला मार डरे हंव, ढेखरा अस तिर के घिरलाततोला मरघट लेग गेंव अउ, तोर मांस ला चिथके खात।ममता ला उड़ेल तंय बोलेस – पिनकू, तंय हा झन मर भूखमोर करेजा ला जेवन कर, लेकिन स्वास्थ्य बना तंय टंच।”दोंह दोंह पेट हा भरगे तंहने पकड़ेंव घर के रद्दा।घुप अंधियार – गिरंव मंय दन दन हालत होगे खस्ता।प्रेम दिखाय मोर ऊपर तंय – यहदे राह तोर घर जायमोर मान के सरलग तंय चल, लगन पाय नइ धक्का खाय।”तोर मान मंय पाय ठिंहा ला, मगर ख्याल आइस कुछ बादसपना मं मंय खूब रोय हंव, रहि रहि करेंव याद ला तोर।उमचिस नींद तंहा मंय जाचेंव – दसना मं आंसू के धारबाय बियाकुल जीव करत हे, मन पछतावत बारम्बार।”पिनकू बोलिस -”मंय जवान हंव, पर किंजरत ठेलहा बेकारयद्यपि शासन करत कुजानिक, लेकिन कतरा दोष लगान!तंय हा बिसर मोर सब गल्ती, पढ़त पढ़त मंय करिहंव काममंय अनाज के मान ला रखिहंव, गप नइ मारंव गाड़ के खाम।”कोदिया अपन पुत्र पिनकू ला, छाती लगा स्नेह बरसातममता दृष्य हो जातिस अंकित, चित्रकार यदि ओतकी टेम।पिनकू हा मेहरुतिर पहुंचिस, उहां कहत सपना के हाल –“वास्तव मं तुलना नइ होवय, मां के ममता संग सब चीज।स्वयं कष्ट ला भोगत लेकिन, करत पुत्र पर अतुलित प्यारदूध के ऋण ला कोन हा छूटत, रहत अंत तक ओकर भार।”मेहरुआंखी फाड़ सुनत हे, ओला होत बहुत आश्चर्य –“जेन गोठ तंय अभि बोले हस, वास्तव मं भावनात्मक आय।ममता ला उंचहा दर्जा दिन, लेखक मन हा बिगर विचारयाने ददा अउ महतारी मं, कर दिन ठाड़ भेद दीवार।एमन दुनों एक अस करथंय, अपन फूल पर प्यार समानएक तराजु मं तउलावंय, एक भार के इज्जत मान।”पिनकू गुनिस – तर्क वाजिब हे, सुद्धू आय पुरुष इंसानकरिस गरीबा के पालन ला, एकोकनिक करिस नइ भेव।याने बालक के रक्षा बर, औरत मरद करत हें यत्नओमन पांय एक इज्जत यश, कउनो झनिच पाय पद ऊंच।पिनकू हा मेहरुला बोलिस -”परब दसरहा मानत आजचल “बंछोर’ दुनों झन जाबो, उहां जात मानव के भीड़।उहां “रामलीला’ तक खेलत, होत राम – रावण मं युद्धजब रावण हा मारे जाथय, नाटक देख होत मन शुद्ध।”मेहरुकिहिस – “करिस रावण हा, जग ले बाहिर का अन्यायमार खात हर बछर बिचारा, ओकर अबगुन ला कहि साफ?”“जनता ला दिस कष्ट भयंकर, हिनहर मन पर अत्याचारनारी के हिनमान करिस हे, यने रिहिस धरती बर भार।”
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