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|सारणी=गरीबा / नूतन प्रसाद शर्मा
}}
<poem>
::::(१)

गौरा गीत

गौरा जागो मोर गौरी जागे
जागे शहर के लोग।
झाई झुई झुले झरे, सेजरी बिसाय
जागो जागो मोर गांव के गौंटिया
जागो जागो मोर ढौलिया बजनिया
जागे ओ गंवइहा लोग
बैगा जागे मोर बइगिन जागे
जागे ओ शहर के लोग।

::::(२)

फूल कुचरना

एक पतरी रैनी भैनी राय रतन ओ दुर्गा देवी
तोरे सीतल छांव माय चांउर चौंकी चंदन पिढ़ली
जैसे गौरी के होथय मान तुम्हारे
जइसे टेढ़ा डार जइसे
परवा छछल गाई डार
एक पतरी रैनी भैनी राय रतन ओ दुर्गा देवी
तोरे सीतल छांव माय चांउर चौंकी चंदन पिढ़ली
गौरी के होथय मान- जइसे गौरी हो मान तुम्हारे
जैसे कोरे धान
कोरे असन डोड़ही पर्रा छछलगे फूल………।
दू पतरी रैनी भैंनी राय रतन ओ दुर्गा देवी
तोरे सीतल छांव माय चांउर चौंकी चंदन पिढ़ली
गौरी के होथय मान – जैसे गौरी हो मान तुम्हारे
जइसे कोरे धान
कोरे असन डोड़ही पर्रा छछलगे फूल………।

::::(३)

जोहार गीत

जोहर जोहर मोर ठाकुर देवता,
सेवर लागौं मैं तोर।
ठाकुर देवता के मढ़ि ला छवायंव,
झुले ओ परेवना के हंसा।
हंसा चरथे मोर मूंगा ओ मोती
फूलै ओ चना के दार
धरती पृथ्वी के मढ़ि ला छवायंव
झुले ओ परेवना के हंसा
हंसा चरथे मोर मूंगा मोती
फूले चना के दार

::::(४)

डड़ैंय्या गीत

लाले लाले बरसा लाले हे खमारे
लाले इशर राजा छोड़वा संवारे
सिकही लबेदा मारे इशर राजा
बेला गिरै सहनाई
नदिया भितर झिल मिल टेंगना
जाइ धरइ अस मोतिन के अंचरा
छोड़ो-छोड़ो रे टेंगना हमरो अचंरा ला
जाइ धरई जस मोतिन के अंचरा……।”

::::(५)

अखरा गीत

दे तो दाई दे तो दही मं मोला बासी
अखरा खेलन बर जैहों ओ दाई
अखरा अखरा बाबू तुम झन रटिहौ गा
अखरा में बड़े बड़े देवता रे भैया
अखरा खेलत बाबू ददा तोर बीत गे
पैदा लेवत बाबू दाई तोर बीतगे
न तोर ददा बाबू न तोर दाई गा
कोन तोर आड़ी ला पुरोही गा भैया
तिहीं मोर ददा दीदी, तिहीं मोर दाई ओ
तिहीं मोर आड़ी ला पुरोबे ए दीदी
तिहीं मोर अखरा मं दिया बार देबे ओ
के कोसे के अखरा सो लाये
कै कोसन के फेरे रे भैया
दस कोसन के अखरा सो लाये
बीस कोसन के फेरे रे भैया।

::::(६)

विसर्जन

एक पतरी चढ़ायेन गौरी, खड़े हो बेलवासी।
आमा आमा ला पूजेन गौरी, मांझे चौरासी।
रौनिया के भौनिया रंग परे कस्तुरिया।
आगू आगू राम चले, पाछू मं भौजइया।
</poem>
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