640 bytes added,
18:06, 23 जनवरी 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अरुण कुमार निगम
|संग्रह=
}}
{{KKCatChhattisgarhiRachna}}
<Poem>
छल-बल न छलावा, छोड़ दिखावा, ताम-झाम ले दूर रहै,
मनखे - ला जाने, मनखे माने, दया - मया मा चूर रहै।
सुध-बुध बिसरा के, मूड़ नवा के, जनहित बर जे, काम करै,
सहि पीर पराई, करै भलाई, अमर अपन वो, नाम करै।
</poem
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader