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07:42, 30 जनवरी 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा
|संग्रह=कविता के विरुद्ध / योगेंद्र कृष्णा
}}
<poem>
वो तो मेरे दुश्मनों ने
मुझे बताया
कि मैं अकाल मारा गया हूं
कि जो रास्ता
दोस्तों की तरफ जाता है
उसी पर मुर्दा पाया गया हूं
वरना मैं तो
हमेशा की तरह खुश था
कि दुश्मनों की गलियों से
इस बार भी
जिंदा निकल आया हूं...