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सुमन के दोष बस अतना कि, बगिया में खिली गैलै।
पवन के जोस-तेवर तेॅ सभ्भे मांटी में मिली गैलै।
सतैभेॅ तेॅ भला केतना गिरै के अंत कहाँ होतै।
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