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नसम्झिनेलाई ! / रमेश क्षितिज
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03:06, 16 मार्च 2017
|रचनाकार=रमेश क्षितिज
|अनुवादक=
|संग्रह=अर्को साँझ पर्खेर साँझमा
/ रमेश क्षितिज
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सम्पूर्ण सहर आतिसबाजी गरेर
भव्य उत्सव मनाइरहेको समयमा
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