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गळगचिया (27) / कन्हैया लाल सेठिया
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08:14, 17 मार्च 2017
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चौमासै में डूंगर उपराऊँ उतरतो एक उछाँछळो नाळो बोल्यो- मैं एक छलाँग में समदर पूग जास्यूं !
डूंगर रै पगाणैं पड़ी धूळ री तिसाई आँख्याँ नाळै कानी देखै ही क कद नीचै उतरै र कद चोसूं !
</poem>
आशीष पुरोहित
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