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गळगचिया (50) / कन्हैया लाल सेठिया
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09:36, 17 मार्च 2017
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काँटो बोल्यो-मनै काढ़णै तांई तो तू नागी सुई नै ही लै भाग्यो की मिनखाचारो तो राख्या कर ?
मिनख कयो- म्हांरो कांई दोष ? नागै री रग नागै सू ही दबै! सूरड़ा देव'र गनसूरड़ा पुजारा ।
</poem>
आशीष पुरोहित
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