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रुक पाया कब जीवन दुःख के टीलों पर <br>
चढी चढ़ी नदी से खारा पानी कहता है|<br><br>
स्याना मानुस ऊँची कुर्सी ओहदे को,<br>
शेर ग़ज़ल का जब भी अछ्छा होता है,<br>
उलझी बाते बातें सरल बयानी कहता है |<br><br>
इक शायर है "विजय" जो अपनी ग़ज़लों में,<br>
सब की जानी और पहचानी कहता है|