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बेटी-तीन मुक्तक / माधवी चौधरी
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16:51, 2 अप्रैल 2017
<poem>
बेटी के रूप में मुझे तन्हाईयाँ मिली।
अपने
अपनों
से भी मुझे यहाँ रुस्वाइयाँ मिली।
इतना ही काफी था कि मुझे जन्म मिल गया-
लाखों सुताओं को जहाँ खामोशियाँ मिली।
Rahul Shivay
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