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निराला है हिन्दोस्ताँ / माधवी चौधरी
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17:01, 2 अप्रैल 2017
एक अपनी जमीं, एक ही आसमाँ
है हिमालय जहाँ विंध्य की
श्रंखला
श्रृंखला
गंगा-यमुना से शोभित है जिसका गला
जिसकी माटी को कहते हैं हम अपनी माँ
Rahul Shivay
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