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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल

|संग्रह=बूँदे - जो मोती बन गयी / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category: कविता]]
<poem>
मुझे शब्द नहीं मिलते हैं,
यह व्यथा कैसे तुम्हें समझाऊँ !
वे फूल कहाँ हैं जिनसे तुम्हारे लिए माला गूँथकर लाऊँ!
कोई भी कविता ऐसी नहीं है जो व्यक्त कर सके यह अभिलाषा,
मेरी आँखों में बैठकर पढ़ लो मेरे मन की भाषा
<poem>
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