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कुछ शेर / शमशेर बहादुर सिंह
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14:16, 1 जून 2008
तुम मेरे दिल में हो, मेरे दिल का ज़वाब दो!
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मैं समझता था कि मेरा तू नहीं ।
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दर्द की इन्तहा नहीं होती
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कुछ कनखियों से इशारा-सा किया!
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अनिल जनविजय
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