गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मुक्तक / श्रीकृष्ण सरल
No change in size
,
17:49, 24 मार्च 2008
यदि किसी एक के भी हम आँसू पोंछ सके<br>
यदि किसी एक भूखे को रोटी जुटा सके,<br>
सौभाग्य हमारा, यदि
एसा
ऐसा
कुछ कर पाए<br>
अपनेपन का धन यदि हम सब में लुटा सकें।<br><br>
Anonymous user
Ramadwivedi