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संवाद / राजीवलोचन जोशी
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11:47, 18 मई 2017
मालिकको भय मानि चुप् हुन गया नारी बनैमा गई ।
सङ्केती जनसीत बातचित भयो शान्ती शरिकों भई ।।२६।।
(“भानुभक्त रामायण” बाट)
</poem>
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