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सुभकामना / जनकराज पारीक

No change in size, 14:20, 6 जून 2017
म्हारी सुभकामनावां स्वीकार करो
कै अभाव अर अकाळ सूं ग्रस्त ई मुलक में
आप भूख संू सूं नीं
बदहजमी सूं मरो।
</poem>
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