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12:24, 11 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राजेन्द्रसिंह चारण
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
दिनभर दुनियां सूं
उठापटक करतो
लड़तो-भिड़तो
पार पड़तो
सिंज्या रा घर जा‘र
हार ज्यावै
बिचारौ आदमी।
</poem>
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