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सांच बोले तो / राजेन्द्रसिंह चारण
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|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
झूठ बोले तो
राम लागै
अर सांच बोले तो
डाम
ई खातर
बोलणो‘ई छोड़ दियो
</poem>
आशिष पुरोहित
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