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02:34, 14 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रचना शेखावत
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|संग्रह=
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<poem>
दिनूगै जावै गुवाळिया
सिंझ्या पूठा आवै इज है
थूं गयो हो गायां लेय
सूना करग्यो मन रो आंगणों
पाछो बावड़्यो नीं
चेतन नीं होयो दिवलो
नीं होयो च्यानणों।
</poem>
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