Changes

बात / सतीश गोल्याण

818 bytes added, 03:01, 14 जून 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सतीश गोल्याण |अनुवादक= |संग्रह=था...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सतीश गोल्याण
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
माणस चल्या जावै
पण बातां रह जावै
सुणनियां चावै ना सुणै
पण,
कैविणयां तो कै‘जावै
थोड़ो बोलै, अर
बोळो सुणै
बो‘ई गुणीजै
थोड़ो बोलण आळो ई
बोळो सुणीजै
स्याणा माणस काढै
बात रो नितार
बै आगै जदई बौले
दिखै बांनै कीं सार।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits