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17:00, 18 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=जरिबो पावक मांहि / आनंद कुमार द्विवेदी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अच्छे लोग
अच्छे से करते हैं
बुरा भी
और रहते हैं हमेशा अच्छे,
अच्छे लोग
हमेशा जागरूक रहते हैं ,
बुरे लोग
कर नहीं सकते
अच्छा,
समझ नहीं सकते
अच्छा-बुरा !
मिल जाते है
अच्छे लोगों को
अक्सर
दुःख स्वप्न की तरह
अच्छे लोग
चाहते हैं
बुरे लोग और बुराई से मुक्त दुनिया ,
और बुरे लोग...
वे चाहते हैं
अच्छे लोगों जैसा बनना !
</poem>