गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
आज सडकों पर / दुष्यंत कुमार
No change in size
,
17:12, 7 सितम्बर 2006
पर अंधेरा देख तू आकाश के तारे न देख।<br><br>
एक
दिरया
दरिया
है यहां पर दूर तक फैला हुआ,<br>
आज अपने बाज़ुओं को देख पतवारें न देख।<br><br>
Anonymous user
घनश्याम चन्द्र गुप्त