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06:07, 25 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निर्मल कुमार शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=निरमल वाणी / निर्मल कुमार शर्मा
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<poem>
लाडूडाँ ज्यूँ भुरती ईंटा, पंजीरी ज्यूँ खिरती रेत
घेवर ज्यूँ छिदियोड़ी छातां, पापड़ ज्यूँ फड़फड़ता गेट
सीरे ज्यूँ पसरयोड़ी नालियाँ, डंकोली ज्यूँ बांका पेम्प
कच्चोडी ज्यूँ थोथी सड़काँ, सम्मोसे ज्यूँ तीखा रेम्प
अजब बनाई रचना, थांरी हुर्र बोलू
थानें इंजीनीयर बतलाऊँ, या हलवाई बोलूं !!
</poem>