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|रचनाकार=निर्मल कुमार शर्मा
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|संग्रह=निरमल वाणी / निर्मल कुमार शर्मा
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<poem>

पकड्यो हथलेवे में हाथ
कसमां खाई रेह्सां साथ
भूल हुई क्या म्हासूं आज
साजन बोलो क्यूँ नहीं रे
ओ, बालम बोलो क्यूँ नहीं रे !!

थें हो म्हारे हिव रा हार
केवूँ थांने मन री बात
पोथी कोरी हूँ मैं हाल
आखर कोरो क्यूँ नहीं रे
ओ, साजन बोलो क्यूँ नहीं रे
ओ, बालम बोलो क्यूँ नहीं रे !!

फुलडाँ सेज न सूखी हाल
फीकी पड़ी न मेहन्दी लाल
जोबन जोवे ऊबो बाट
नैणां तौलो क्यूँ नहीं रे
ओ, साजन बोलो क्यूँ नहीं रे
ओ, बालम बोलो क्यूँ नहीं रे !!

पपइयो पी-पी करे पुकार
सावण रिमझिम बरै फुहार
नैणा बरसे मूसलधार
रीस ने धोलो क्यूँ नहीं रे
ओ, साजन बोलो क्यूँ नहीं रे
ओ, बालम बोलो क्यूँ नहीं रे !!

हेठी रो छोड़ो थोथो खूंट
थूको अणबण रो कड़वो घूँट
पीतां ही झणके मन रा तार
वो रस घोलो क्यूँ नहीं रे
ओ, साजन बोलो क्यूँ नहीं रे
ओ, बालम बोलो क्यूँ नहीं रे !!

</poem>
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