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06:15, 25 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निर्मल कुमार शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=निरमल वाणी / निर्मल कुमार शर्मा
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<poem>
चौड़े- धाडे रे भाया चौड़े- धाडे
कलयुग हेलो देतो आवे रे चौड़े- धाडे
माँ ने ममी बनाई देखो
बाप ने कर दियो डैड
लोक लाज ने भूल्या
हुयो कस्यो जमानो बेड
टींगर मायत ने आँख दिखावे रे चौड़े- धाडे
कलयुग हेलो देतो आवे रे चौड़े- धाडे
मरदां मूँछ मुंडाई देखो
केश कटावे नारी
लीर-लीर भर गाबा पैरे
लाज छोड़ दी सारी
सारे जग ने बदन दिखावे रे चौड़े- धाडे
कलयुग हेलो देतो आवे रे चौड़े- धाडे
चूल्हा ठंडा रेवण लाग्या
होटल मनडे भायी
मिनख बार में और लुगायाँ
क्लब में करे हथाई
छोरा-छोरी डेटिंग पे जावे रे चौड़े- धाडे
कलयुग हेलो देतो आवे रे चौड़े- धाडे
मरद छोड़ दी मरजादा
औरत भी लाज गँवाई
धणी बण रह्या राधा देखो
कान्हो बणी लुगाई
लाल बागाँ में रास रचावे रे चौड़े- धाडे
कलयुग हेलो देतो आवे रे चौड़े- धाडे
चौड़े-सोने री संसकृति देश री
मत भूलो ऐ भाई
आज हँसो लोगाँ पे
होसी थांरी काल हँसाई
निरमल सब ने आज बतावे रे चौड़े- धाडे
कलयुग हेलो देतो आवे रे चौड़े- धाडे
</poem>
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