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लालटेनें-1 / नरेश सक्सेना
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17:01, 9 जून 2008
जो अक्सर वहाँ से बुझी और तड़की हुई लौटती हैं
हमें ख़तरों का पता देती
हुई
हुईं
क्योंकि वहाँ जाकर लालटेनें बुझ जाती हैं
वहाँ जाकर आदमी का दम घुट जाता है।
अनिल जनविजय
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