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|रचनाकार=विद्यासागर शर्मा
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|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
(6)
जान में गयो जणा राजलदेसर जोतो
मान्यो कोनी जिद कर'र सागै चढग्यो पोतो
छोरो के हो काग हो
तरीदार साग हो
मटर ल्यायो काढ लगा कटोरी में गोतो।

(7)
गांव स्यूं शहर में आयी जणा ताई
पाड़ोसन स्यूं कुकिंग री किताब मांग ल्याई
लाग्यो नयो रोग
करण ने प्रयोग
काकडिय़ै में गेर्या करती टमाटर री खटाई।
(8)
आर.एम.पी. डाक्टर होया करतो 'निक्को'
आरबार गावां रै मैं चाल्या करतो सिक्को
स्टोव नई बाळतो
स्रिंज नीं उबाळतो
फाउंटैन पैन सूं ई लगा देतो टिक्को।

(9)
सब्जी रो ठेलो आतो जणा मिसेज 'नाजर'
सात टाबरां री टोळी ले'र होती हाजर
सब्जी जणा छांटती
बच्चां नै नीं डांटती
सातूं टाबर चाब जाता किल्लो किल्लो गाजर।

(10)
चांदपोल बाजार हो'र दफ्तर जांतो 'बंटो'
भीड़ मांय फंस जातो, निकलण रो हो टंटो
पहुंचण खातर 'क्विक'
बरती एक 'ट्रिक'
स्कूटर उपर बांध लिंधो फायर ब्रिगेड रो घंटो।
</poem>
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