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18:14, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=वाज़िद हसन काज़ी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
अेक आंगणै
ऊगिया बधिया
नीमड़ौ अर आम्बौ
दोनां रै बीचै चबूतरौ
तौ ई पानड़ा लेवै
अेक दूजां नै बाथां
चबूतरां पै हुवै
पंचायत्यां अर उडै झपीड़ बातां रा
दोनूं हरखै
पण हुवै जद बातां
राजनीति री
तौ
नीमड़ा नैं याद आवै आपरौ खार
अर आम्बा नैं आपरौ खटास
तौ दोनूं
मूंढा फेर लेवै
चवड़ै आ जावै
अंतस री असलियत
उघड़ जावै पौत।
</poem>
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