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चिड़कली रा तीन सुवाल (1) / अशोक परिहार 'उदय'
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|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
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अटार्यां सूं भरी
धरती माथै
मे'लण नै नीं है ठोड
चिड़कली रै दो पंजां सारू
तो बता रे भाई
आ धरती फगत
मिनख री है काईं?
</poem>
आशिष पुरोहित
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