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19:07, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मनमीत सोनी
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|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
सैकडूं घण्टा बातां रा
हजारूं हरफ मैसेजां रा
अर
कितना ई इन्नरधनख फोटूड़ां रा
म्हारी जवानी रा अणगिणत छण
निगळ गयो ओ टावर-
काल ठा पड़्यो
कै थूं बदळ लिया है
थारा काण्टेक्ट नम्बर।
</poem>
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