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{{KKRachna
|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
राजनीति मांय
हर नेता खेलै अमरघोट
जिण मांय मारणा पड़ै
खाली सोट ई सोट
पैलां सागै रैवै
पारटी बणावै
अर राज मांय पूग जावै।
सीर मांय हुवै दुभांत
तो अमरघोट सरू हुय जावै
लारै सूं मारण आळो
ओ खिल
नेतावां खातर ई बण्यो है
जिण मांय साम्हीं नीं
पीठ पर मारणो पड़ै
अर माय ‘र भागणो पड़ै
नेतावां रो खिल
मिलै तो बै-मेळ
पण मिलै अमरघोट खातर
बार-बार खेलै
जनता बापड़ी मार झेलै।

</poem>
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