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|रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी
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|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
उणनै बाळपणै सूं देखूं
ना मुळकै
ना रोवै
ना देखै
ना कीं कैवै
सीधो आवै, सीधो जावै,
कोई कीं टुणका न्हाखै
तो तिरछी निजरां सूं देखै
अर मुड़ ‘र निकळ जावै
काल तो अेक जणो
अचाणक आयो
पकड़यो
अर अेक झापड़ मारग्यो
बो खाली देखतो रैयग्यो
इयां लागतो
जाणै बो मिनख नीं है
है खाली रूंख
टैम पर ई बोलै
अर
मन रा राज खोलै।

</poem>
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