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दुख हरने को किये जतन जो, सबके सब दिनरात फले हैं
छोटा सा मेरा है जितना ये संसार तुम्हारा भी है
मेरा तुम पर ...
आगत में भी ऐसे ही तुम ,संग हमेशा देते रहना अभिलाषा हर होगी पूरी , बस थोड़ा सा धीरज धरना प्रिये ! हौसला हो तुम मेरा , हो सम्बल मेरे जीवन का तुम देखो सपने है मेरा , लक्ष्य सदा ही पूरा करना
मेरा आदर होगा जितना तो सत्कार तुम्हारा भी है
मेरा तुम पर .....
राज छुपा है जीने का बस , मीत प्रेम ढाई अक्षर में जैसे है संगीत छुपा सा . मुरली में वीणा के स्वर में
तार मिले हों साज बजेगा, धुन निकलेगी मस्त मनोहर
टूटे हों यदि तार कभी भी , असर न छोड़े वो अंतर में मेरे जीवन नाट्य मंच पर , इक किरदार तुम्हारा भी है
मेरा तुम पर जितना है उतना अधिकार तुम्हारा भी है
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